रवि रश्मि अनुभूति

मिसरा ----
हर इक प्यासे को बादल लिख रहा है।
****
बह्र  ----
1222    1222    122
*क़ाफ़िया*    ----     अल
*रदीफ़*       ----      लिख रहा है ।
क़ाफ़िया के उदाहरण ---- पागल,बादल,फल,मुसलसल,हलचल,मखमल,जंगल,मक्तल,हल,कल,जल,छल,निर्बल,निर्मल,दलदल,बेकल,कोमल,चंचल,पलपल,संबल,मलमल,मंगल,निश्छल,शीतल,पीतल,इत्यादि ।

पूरा शेर इस प्रकार है  ----
*ये क्या तहरीर पागल,लिख रहा है ।*
*हर इक प्यासे को बादल लिख रहा है ।*


     ग़ज़ल 
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  वो खुद अपने को विस्मिल लिख रहा है .....
ज़माना हमको क़ातिल लिख रहा है .....

उगलता आग  सूरज देखिये तो .....
कोई पागल तो शीतल लिख रहा है .....

बरसते देख ओले बारिशों में .....
अभी से दिल उसे जल लिख रहा है .....

दिखा जो वस्त्र सूती जब उसे तो .....
उसे क्यों वस्त्र मखमल लिख रहा है .....

ज़रा देखी लड़ाई जो उसी ने .....
उसे क्योंकर वो दंगल लिख रहा है .....

बुझी ही प्यास प्यासे की नहीं जो .....
( हर इक प्यासे को बादल लिख रहा है .....) 

जिसे अपने नही अंजाम की ख़बर
मगर वह सुनहरा कल लिख रहा है .....
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(C) रवि रश्मि 'अनुभूति ' 
5.6.2021, 11:04 पीएम पर रचित ।
मुंबई   ( महाराष्ट्र ) ।
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🙏🙏समीक्षार्थ व संशोधनार्थ ।🌹🌹

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