विजय मेहंदी

14 जून  " रक्तदान दिवस " के पुनीत अवसर पर प्रस्तुत मेरी यह मौलिक रचना--------
                 " रक्तदान महादान "

ऐ मेरे वतन के लोगों   लगा लो रक्तदान का नारा,
ये शुभदिन होगा हम सब का कर जीवन दान ये न्यारा।
जब घायल होवे कोई   खतरे  में  पड़े जिन्दगानी,
बूंद-बूंद लहू को तड़पे या बह जाये लहू बन पानी।।

कभी राह सड़क हादसा  कभी बेबस नारि प्रसूती,
कभी शरहद पर लड़ने वालों की होती है आहूती।
कभी डेंगू रक्त-कैन्सर  कभी पीलिया खून की प्यासी,
इनसे ग्रसित हो मरने वाले  हर लोग हैं देश के वासी।।

कितने दान-वीरों ने अपने खून की बाजी लगा दी,
खुद रह इस दुनिया में  गैरों की भी जान बचा दी।
हैं धन्य जवान वतन के  है धन्य ये उनकी जवानी,
कर रक्तदान जीवन का  बन गये महा वे दानी।।

ये विनम्र गुहार आपसे   करता है अटेवा आगवानी,
कर रक्तदान जीवन का  बन जाओ महा तुम दानी।
पर मत भूलो लहू की कमी से कितनों ने हैं प्राण गवाये,
कुछ याद उन्हें भी कर लो जो लौट के घर ना आये।।

" ये आज की करुँण कल्पना कल की हो सकती आपबीती,
इसे लिखती कलम विजय की, करती है विनय सभी की।।"

==============================
मौलिक रचना- विजय मेहंदी (कविहृदय शिक्षक)
उत्कृष्ट कन्या कम्पोजिट इंग्लिश मीडियम स्कूल शुदनीपुर,मड़ियाहूं,जौनपुर(उoप्रo)
9198852298

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...