💕काव्य रंगोली परिवार 💕
*हमारा ग्रुप प्यार का मंदिर है,
*बहुत सुन्दर है!*
*इसे और सुन्दर बनाओ।*
*मन ऐसा रखो कि*
*किसी को बुरा न लगे।*
*दिल ऐसा रखो कि*
*किसी को दुःखी न करे।*
*रिश्ता ऐसा रखो कि*
*उसका अंत न हो।*
*हमने रिश्तों को संभाला है!*
*मोतियों की तरह*
*कोई गिर भी जाए तो*
*झुक के उठा लेते हैं!*
*ग्रुप नहीं ये परिवार है,*
*बसता जहाँ प्यार है।*
*सुख के तो साथी हजार है*
*यहां सब जिंदगी के आधार है*
*अपनों सा प्यार है यहाँ*,
*इसके लिए सबका आभार है*
*काम हो कोई तो बता देना*
*इस ग्रुप में हर कोई तैयार है*
*सब को साथ जोडने के लिए*
*सभी का दिल से आभार है*
*बांटना है तो बांट लो खुशी…*
*क्यो की आंसू तो सबके पास हैं*!!
*नीरज* तुम सिर्फ ग्रुप बना गये हों,
पर इस ग्रुप को तो सभी सदस्य मिलकर चलाते हैं देखो कैसे काव्य रचनाओं से रंगोली सजाते हैं।
निष्ठुर तुमने दगा कर दिया इस बार
अनिल गर्ग, कानपुर
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