सुधीर श्रीवास्तव

हाइकु
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आग
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बरसे आग
ऐसा लगता जैसे
जला ही देगी।
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कब बुझेगी
भूखे पेट की आग
राम ही जानें।
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अग्नि देवता
काम आते चूल्हे के
रोटी पकती।
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बिना विचारे
उपयोग करना
हाथ मलना।
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मृगतृष्णा सी
धधक रही ज्वाला
झुलसे तन।
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◆ सुधीर श्रीवास्तव
       गोण्डा, उ.प्र.
    8115285921
©मौलिक, स्वरचित

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