अतुल पाठक धैर्य

शीर्षक-दिले जज़्बात
विधा-कविता
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दिले जज़्बात मेरे दिलदार बनकर पढ़ा करो,
आँखों की मस्तियों को लुटाता हूँ तुम भी मस्त निगाहों में उतरा करो।

महकते अल्फ़ाज़ मेरे नव रंग रस में भर रहे हैं,
एहसास को एहसास से ही तुम तराशा करो।

तबस्सुम का सितारा बना करो,
नज़रों से गुफ़्तुगू किया करो।

गुलों का मखमल न चाहिए,
साँसों का संदल बना करो।

प्रेममयी भावनाओं का सुरमयी संसार सजाया करो,
धड़कने तराने बन जाती दिल में बेवक्त आकर सुन जाया करो।

रचनाकार-अतुल पाठक " धैर्य "
पता-जनपद हाथरस(उत्तर प्रदेश)
मौलिक/स्वरचित रचना

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