नूतन लाल साहू

एक प्रश्न प्रभु जी से

हे परम पिता परमेश्वर
तुम्हीं ने बनाया है
चंदा सूरज तारे, नदिया नारे
और उजियारा
पर कैसे किया,सुख दुःख का बटवारा
ये सोच सोच,मेरा मन हारा
मनुष्य को ही क्यों बड़ा दर्द दिया
एक दो दिन की बात नहीं है
मनुष्य सदियों से रोता आ रहा है
कोई कोई ने सोया,चैन से तो
अनेकों ने रात में जगकर
बिता रहा है
कैसे सजाया है,मनुष्य के
घर की फुलवारी को
ये सोच सोच मेरा मन हारा
पूछे मेरा मन बंजारा
मनुष्य को ही क्यों बड़ा दर्द दिया है
ये दुनिया इक बाजार है
घायल की गति घायल जाने
और न जाने कोई
दुखों से भरी हुई,भारी गठरी
मनुष्य हर युगों में
ढो रहा है
आपने भी तो मनुष्य के रूप में
इस धरा पर,अवतार लिया है
अनेकों कष्टों को सहा है
फिर भी मनुष्य को
बड़ा ही दर्द दिया है
कैसे किया,सुख दुःख का बटवारा
ये सोच सोच मेरा मन हारा
पूछे मेरा मन बंजारा
मनुष्य को ही क्यों बड़ा दर्द दिया है

नूतन लाल साहू

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