सम्मानित पटल को नमन
गंगा को स्वच्छ बनाएं
चलो सब मिल गंगा को स्वच्छ बनाएं,
इस दशहरा यह शुभ संकल्प उठाएं।
हिमालय से निकली गंगा निर्मल रहती है,
चीर पहाड़ों का सीना धरा में यात्रा करती है,
भागीरथ महिमा का गुणगान हम गाएं,
चलो सब मिल गंगा को स्वच्छ बनाएं।
गंगोत्री से खाड़ी के सफर बहुत कष्ट है सहती,
कितना भी अत्याचार करें परकुछ नहीं कहती,
मां के आंचल को मैला होने से हम बचाएं,
चलो सब मिल गंगा को स्वच्छ बनाएं।
कल कारखानों के अपशिष्ट से गंदगी बहती है,
जानवरों को नहलाने से जलधारा
दूषित होती है,
निर्मल पावन गंगा धारा को दूषित होने से बचाएं,
चलो सब मिल गंगा को स्वच्छ बनाएं।
रीति रिवाज दाह संस्कार में भी गलती ना करें,
पापनाशिनी गंगा का यथोचित हम सम्मान करें,
गंगा को निर्मल रखने के वैकल्पिक साधन अपनाएं,
चलो सब मिल गंगा को स्वच्छ बनाएं।
इस दशहरा यह शुभ संकल्प उठाएं।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी कानपुर नगर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें