डॉ. अर्चना दुबे रीत

*गंगा दशहरा*
नमामि गंगे🙏

गंगा पतित पावनी
पापों को करें दूर
भागीरथी की कठिन तपस्या
धरती पर आया गंगा का निर्मल नीर ।

युगों युगों से बहने वाली
गंगा भागीरथ की अमर कहानी
सबको जीवन दान है देती
पापों को सबके हर लेती ।

ब्रह्मकमण्डल ली अवतार
शिव के जटा से निर्मल धार
मनवांछित फल देती सारा
गंगा का जल अमृत धारा ।

मोक्षदायिनी, पाप नाशिनी
पावन सलिल की माँ तू स्वामिनी
मानवमन की पीड़ा हारिणी
जगततारिणी, मुक्ति दायिनी त्रिपथगा, गंगोत्री, जाह्नवी ।

*डॉ. अर्चना दुबे 'रीत'*✍️
    मुंबई

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

अखिल विश्व काव्यरंगोली परिवार में आप का स्वागत है सीधे जुड़ने हेतु सम्पर्क करें 9919256950, 9450433511