अमरनाथ सोनी अमर

लोकगीत- हिंडुली! 

बरसत पनिया असढबा महीनबा, 
चला हो चली ना, 
सखियाँ अपने हो खेतबा,       चला हो चली ना! 

धनिया का बिजहा ,                  ले चलीअपने खेतबा, 
बोबाँ हों संँइया ना, 
जब ता जामइ हो धनिया, 
नीका हो लागइ ना! 
बरसत पनिया असढबा महिनबा........ 

धनिया निराबइ ता ,            चलबइ हो सखियाँ, 
नीका हो लागइ ना, 
फुरफुर परइ हो, 
फुहरबा नीका हो लागइ ना! 
बरसत पनिया असढबा महिनबा......... 

धनिया ता उपजइ,              फसल बहु कटबइ, 
कुठिला भरी ना, 
अब ता माला माल होबइ, 
कुठिला भरी ना! 

बरसत पनिया असढबा महिनबा, चला हो चली ना, 
सखियाँ अपने हो खेतबा, 
चला हो चली ना!!! 


अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

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