मन्शा शुक्ला

परम पावन मंच का सादर नमन
       सुप्रभात
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
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माखन चोर  कन्हैया मेरों
चित्त चुराय के ले गयों मेरों
फोंड़ मटुकिया माखन खायें
ग्वाल बाल संग धूम मचायें
चित्र लिखित सी रही मैं थाड़ी
अधर मौन मुख आवें न वाणी.......2
माखन चोर...............................।

वेणू   मधुर  बजावें   मनहर
सुध बुध मेरी   लीन्ही  है हर
साँवली  सूरत  मोहनी मूरत
बलि बलि जाँऊ तुम पर गिरधर
भक्तन हित  प्रभु लीला  करते
प्रेम बशीभूत ओखल से बँधते.....2
माखन चोर.......................।

गेंद खेलन का करके बहाना
नागनाथ  बिष मन  का हरते
 लीला चीर हरण की करके
निति ज्ञान का  सन्देशा  देते
प्रबलप्रेम  के  पाले पड़कर
छाँछ हेतु नृत्य गिरधर करतें.....2
माखनचोर........................।।

मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर

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