माहिया
जरा हाथ मिला लेना
छोड़ चलो नफरत
रस प्रीति पिला देना।
करवद्ध यही कहता
बात सदा मानो
राह जोहता रहता।
करुणा हो सीने में
सुनो करुण क्रंदन
भाव बहे जीने में।
कुछ प्यार जता देना
यार बने आओ
कर खड़ी स्नेह सेना।
दिल खोल मिलो सजना
सहज प्रेम वंदन
मन से दिल में बहना।
रोता मन शांत करो
संग रहा करना
निज शीतल हाथ धरो।
मुस्कान भरा नर्तन
लगे मीठ वाणी
सजा-धजा परिवर्तन।
आँगन में नाच करो
स्वयं गगन देखे
मानव में साँच भरो ।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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