*राम बाण🏹 कुण्डलियाँ छंद*
बातें उनकी योजना, वादें करें जरूर।
धंधा पानी बंद हैं, झेल रहा मजदूर।।
झेल रहा मजदूर, कौन ये पीड़ा जाने।
भूखे घर में बैठ, नियित ये सबकी माने।।
कहते कविवर राम,करें चौपाये घातें।
सेवक बनकर घात,करें फिर मीठी बातें।।
*डॉ रामकुमार चतुर्वेदी*
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