मुकुंद / हरिलाल छंद
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परिचय ---- चतुर्दशाक्षरावृत्ति
गण संयोजन --- तभजजगल
यति -- 8 , 6
221 211 12 , 1 121 21
आते नहीं किशन ही , लो विचार ।
साँसों बसे तुम सुनो , अब उबार ।।
मीरा बनी फिर रही , कर पुकार ।
रिश्ता अभी बन गया , मत विसार ।।
ये ही कहूँ किशन मैं , बात मान ।
चरणों पड़ी अब प्रभो , रखो ध्यान ।।
आयी अभी शरण मैं , हृदय जान ।
सेवा करूँ अब सदा , दे न दान ।।
(C) रवि रश्मि 'अनुभूति '
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