नूतन लाल साहू

हंसी

हंसी बहुआयामी है
आती है तो आती है
नही आती तो नही आती है
जिगर फेफड़े आंत यकृत तिल्ली
गुर्दे पसली,पेट की झिल्ली
इन सबके लिए व्यायामी है
जो अट्टहास करता है
तो उनके,हाथ पैर 
पेट और पाचन तंत्र
सबकी मशक्कत हो जाती है
जो मनहूस रहता है
उन्हें कब्ज और अनेक
 शारीरिक मानसिक दिक्कत हो सकती है
पर,हंसी आसान नहीं है
आती है तो आती है
नही आती तो नही आती है
और कभी कभी तो 
अकेले में भी,हंसी आ जाती है
कभी कभी,हंसी आती है
शब्दो के उलट फेर में
तो कभी कभी,हंसी आती है
बहुत ही देर से
नवजात बच्चों की हंसी
मां की मुट्ठी में है
बड़े बच्चों की हंसी
स्कूल की छुट्टी में है
पागल हंसे, तो विकार है
दुश्मन हंसे, तो कटार है
हीरो हंसे, तो झंकार है
हीरोइन हंसे, तो बहार है
हंसी धन्य भी है और धिक्कार भी है
द्रौपती ने,दुर्योधन पर हंसी
तो महाभारत युद्ध करा दी
हंसी चीज करामाती है
आती है तो आती है
नही आती तो नही आती है

नूतन लाल साहू

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