नमन साहित्यिक मंच,माता शारदे
शीर्षक-"पिता एक उम्मीद"
20।06।2021।
पिता है पहला उम्मीद-किरण,
जिससे रोशन लाल-बाल,जीवन,
निस्वार्थ-भाव से करें,अपना कर्म,
सुत,सुता के हितैषी,सर्वोच्च-उम्मीद।।
पिता हैं विशाल वट-वृक्ष सम,
फल,फूल,ईन्धन,औषधि,छाया,
पिता का कार्यक्षेत्र आय-व्यय,
जिसके बुते होता परिवार,गुजारण।।
शिक्षा,ज्ञान,विज्ञान,अनुसंधान,
पिता है वो मजबूत संम्भ,लौह,
बाहर से भले कठोर नारिकेल,
परन्तु अंन्दर लचीलेपन,स्वादिष्ट।।
पिता चाहे,सुत बढ़े उससे आगे,
न रखते वह कोई जलन,द्वेष,
माता त्याग की देवी,पिता,छाया,
जिनसे महफूस रहते संतान,आजीवन।।
पिता है एक उम्मीद का पिण्ड,
सूरज भांति जलता खुद,देता,
उजाला,घर-संसार,सुत,सुता,
पिता है उद्गम,उद्गार,उम्मीद।।
ख़ुशनसीब हैं जिसे मिले,पिता,
चूंकि पिता है सर्वाधिक,कर्मठ,
सर्वथा प्रगतिशील,उम्मीद-किरण,
"पितृ-दिवस"पे उन्हें एक सलाम।।
अरुणा अग्रवाल।
लोरमी,छःगः।
🙏🌹🙏
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें