मन्शा शुक्ला

परम पावन मंच का सादर नमन

..........................

चुन -चुन बेर लाती
फूल राह में बिछाती
आओं मेरे प्रभु राम
राह निहारती है।c

सुमिरन  राम  नाम
काम यही आठों याम
राम भक्ति लव लगा
राम गुण गाती है।

प्रेम  भाव  नैन भर
खिलाती है चखकर
राम रूप दर्शन कर
मन हरषाती है।

ज्ञान नवधा भक्ति का
 ईश वरदान मिला
 सुमिरन राम नाम
भाग्य सँवारती है

मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...