प्रेम।।*
*।।शीर्षक।।प्रेम से परिवार*
*बनता स्वर्ग समान है।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
परिवार छोटी सी दुनिया
प्यार का इक संसार है।
एक अदृश्य स्नेह प्रेम का
अद्धभुत सा आधार है।।
है बसा प्रेम तो स्वर्ग सा
घर अपना बन जाता।
कभी बन्धन रिश्तों का तो
कभी मीठी तकरार है।।
2
सुख दुख आँसू मुस्कान
बाँटने का परिवार है नाम।
मात पिता के आदर से
परिवार बने है चारों धाम।।
आशीर्वाद,स्नेह,प्रेम ,त्याग
की डोरी से बंधे होते सब।
प्रेम गृह की छत तले तो
परिवार है स्वर्ग समान।।
3
तेरा मेरा नहीं हम सब का
होता है परिवार में।
परस्पर सदभावना बसती
है यहाँ हर किरदार में।।
नफरत ईर्ष्या का कोई भी
स्थान नहीं घर के भीतर।
प्रभु स्वयं ही आ बसते बन
प्रेम की मूरत घर संसार में।।
*।।जीवन ,,,,सहयोग व संघर्ष*
*का दूसरा नाम।।*
*।।विधा।।हाइकु।।*
1
सवाल भी है
यात्रा ऊपर नीचे
जवाब भी है
2
जीवन भाषा
बिना रुके चलना
ये परिभाषा
3
रूठो मनाना
कभी खुशी या गम
जोश जगाना
4
भागती दौड़
यहाँ अनेक मोड़
मची है होड़
5
जिंदगी जंग
बहुत निराली है
होते हैं दंग
6
घृणा ओ प्यार
हर रंग इसमें
हो एतबार
7
रूप अजब
अद्धभुत है यह
है ये गज़ब
8
दोस्ती संबंध
चले यकीन से ही
ये अनुबंध
9
ये हो दस्तूर
दुनिया में जीने को
प्रेम जरूर
10
ये इकरार
निभाना जरूरी है
नहीं इंकार
11
नहीं बिखरो
संघर्ष से संवरो
तुम निखरो
12
एक दस्तूर
प्रेम हो भरपूर
ये हो जरूर
13
कीमती शय
यकीन की दौलत
टूटे न यह
*रचयिता।एस के कपूर*
*"श्री हंस"।बरेली।*
मो 9897071046
8218685464
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