अमरनाथ सोनी अमर

गीत- मन! 
2122,2122,

क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन! 
यार सुन लो, जान कर मन!! 

ना  भरोषा,  कर  किसी  का! 
सत्य   कहता   हूँ,   सलीका! 
देत धोखा,   हर  समय  मन! 
क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!! 

झूँठ  का   तुम,   ले   सहारा! 
सत्य का  तुम,  कर  किनारा! 
मान लो अब आज, तुम मन! 
क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!! 

है   जमाना,  झूँठ  का  यह! 
है   दिखाना,  दंभ  का  यह! 
दे  भरोषा,  आज  तुम  मन! 
क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!! 

याद कर  लो, यार  अब तुम! 
भूलना अब, कुछ  नहीं  तुम! 
ना  भरोषा, कर  किसी  मन! 
क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!! 

फँस गये  हो,  जाल  में  तुम! 
क्यों  बुरे  से,  हाल  में   तुम! 
हो  गये,  हुशियार  अब  मन! 
क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!! 


अमरनाथ सोनी" अमर "
9302340662

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