..........सुप्रभात
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महादेव हे औघड़दानी।
विनय करूँ आदर सनमानी।।
जटा विराजे पावन गंगा।
पट बाघम्बर सोहे अंगा।।
कानन कुण्डल पहिरे व्याला।
आसन.है पावन मृगछाला।।
कर में त्रिशूल डमरू राजे।
डमडम नाद पाप सब नाशे।।
सावन मास चढ़े जलधारा।
भोलेनाथ जगत आधारा।।
राम नाम पावन अघहारी।
सुमिरन करत सदा त्रिपुरारी।।
रोग आपदा जग पर छायी।
हरो ताप भव के सुखदायी।।
करूँ वन्दना हे शिवशंकर।
करुणा सागर हे महेश्वर।।
मन्शा शुक्ला
अम्बिकापुर
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