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कविता
*किसान*
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मात-पिता परमेश्वर,
धरा पुत्र पर अभिमान।
आओ मिलकर बोले,
जय जवान,जय किसान।।
भूमि पुत्र सच्चा साथी,
मनभावन मतवाला।
फसल उगाता मन से,
हम सब का रखवाला।।
दिन-रात मेहनत कर,
अपना धर्म निभाता।
ओले-वृषा-तूफान,
देखो उसे डराता।।
फसल लहलहाती जब,
मंद-मंद वो मुस्कुराता।
परिश्रम का फल मीठा,
परिवार संग हर्षाता।।
खेत-खलिहान उसकी,
सबसे बड़ी पहचान।
अतिथि सेवा मनुहार,
करता सबका सम्मान।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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