।मौत से पहले मरने को तैयार नहीं,*
*कॅरोना तुझसे हार हमें स्वीकार नहीं।।*
*।।विधा।।मुक्तक।।*
1
मौत से पहले मरने को
तैयार नहीं हम।
तेरी दहशत से डर जाएं
वो किरदार नहीं हम।।
सावधानी दवाई और योग से
हराएंगे तुझको जरूर।
कॅरोना तुझको रखेंगे दूर
तेरे यार नहीं हम।।
2
माना पकड़ बहुत पर वार
हमारा भी खाली नहीं।
माना कि तुम अदृश्य पर
बच न सकें बेहाली नहीं।।
जो हमने खोया उससे कुछ
सीखा समझा भी है।
तुझसे बचाव न कर सकें
ऐसी भी बेख्याली नहीं।।
3
माना कि हम सब ने संकट
भोगा बहुत भारी है।
पर तेरी हर लहर से निपटने
का प्रयास जारी है।।
तेरी हर काट की काट ढूंढी
अब है जा रही।
जान ले कॅरोना अब होगी
तेरी ही दुश्वारी है।।
4
विषम परिस्थिति ही हमें आत्म
बल संदेश देती है।
हमको सामना करने का इक़
नया परिवेश देती है।।
कर्म,सहयोग,खोज, अनुसंधान
का मिलता नव आवरण।
नव निर्माण के आवाह्न का
श्री गणेश देती है।।
*।।रचना शीर्षक।।*
*।।बेटी,तुम ही बनती जाकर बहन,पत्नी,माँ हो।। तुम केंद्र ,तुम धुरी, सृष्टि की रचनाकार हो।।*
*।।विधा।। मुक्तक।।*
1
तुम केंद्र तुम धुरी तुम सृष्टि
की रचनाकार हो।
तुम धरती पर मूरत प्रभु
की साकार हो।।
तुम जगत जननी हो तुम
संसार रचयिता।
बेटी,माँ,बहन,पत्नी,जीवन में
हर प्रकार हो।।
2
बेटी से ही ममता स्नेह प्रेम
जीवित रहता है।
मन सच्चा कभी कपट कुछ
नहीं कहता है।।
त्याग समर्पण का जीवंत
स्वरूप हो तुम।
तन मन में बेटी तेरे प्यार का
दरिया बहता है।।
3
तुम से ही घर आँगन और
चारदीवारी है।
हरी भरी जीवन की हर
फुलवारी है।।
तुमसे ही आरोहित संस्कार
संस्कृति सृष्टि में।
तुमसे ही उत्पन्न होती बच्चों
की किलकारी है।।
4
तुमसे ही बनती हर मुस्कान
खूबसूरत है।
दया श्रद्धा की बसती साक्षात
मूरत है।।
तुझसे से ही है मानवता का
आदि और अंत।
चलाने को संसार प्रभु को भी
तेरी जरूरत है।।
*रचयिता।।एस के कपूर "श्री हंस*"
*बरेली।।।*
मोब।। 9897071046
8218685464
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