कुमार@विशु

साथ हो  तुम अगर  ,  राह  आसां लगे  जिंदगी का,
साथ दो तुम अगर , कट ये जाए सफर जिंदगी का।।

वादियाँ ये फिजाएँ बुलाए , 
बिन तेरे ये मुझे ही सताए,
देख झरने भी क्या गुनगुनाए,
बिन तेरे गीत ना मन को भाए।।
उठ  रही  है  लहर  देख कैसे,
प्यार पाने को आतुर हो जैसे,
बूँद बारिश की तन को जलाए,
जैसे सावन अगन नित लगाए।।
साथ हो तुम अगर , शबनमी हर प्रहर जिंदगी का,
साथ दो तुम अगर , कट ये जाए सफर जिंदगी का।।

फुल तुम बिन लगे काँट जैसे,
सेज  चुभता  कटे  रात  कैसे,
चाँदनी  भी  तपन  है  बढ़ाती,
जेठ  का  दोपहर  मानो  जैसे।।
बाहों  का तेरे  मिलता  सहारा,
काले केशों का हो छाँव प्यारा,
खिलखिलाती हैं सारी दिशाएँ,
दो नयन ज्यों ही करते इशारा।।
कुछ रहा ना खबर , दिल बना हमसफर जिंदगी का,
साथ दो तुम अगर , कट ये जाए सफर जिंदगी का।।

थक गया चाँद पर ना थके तुम,
ढल गया दिन मगर संग थे तुम,
जिंदगी ने  दिए  जख्म जब भी,
बनके  मरहम  रहे  साथ में तुम।।
अश्रु  बनकर  कभी  दर्द  छलका,
खारा जल बनके आँखों से बरखा,
हर कदम तुमने दिल को सम्भाला,
बेबसी  में  कदम  जो  ये  बहका।।
कितना गिरता अगर , हिस्सा होते ना तुम जिंदगी का,
साथ  दो  तुम  अगर , कट ये जाए सफर जिंदगी का ।।
✍️कुमार@विशु
✍️स्वरचित मौलिक रचना

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