नमन मंच,माता शारदे,गुणीजन।
शीर्षक-बरखा-रानी
01।06।2021।
षट् ऋतुओं का आवाजाही,
मनभावन,सुखद,परिवर्तन,
ग्रीष्म तपिश बाद वरखा-रानी,
शबनमी धरणी,श्यामल-धारी।।
हराभरा खेत,खलिहान की शोभा,
प्रीतिकर,अनुकूल किसान-आशा,
फसल लहराता देखके प्रसन्न-मित
बुन्दा बान्दी वरखा वहार,सुहानी।।
कवि उठाऐ कलम,कागद,
कुछ करने प्रकृति-चित्रण,
देखके शस्य श्यामल ओढनी,
उपमा अलंकार का मन,मानी।।
काश की ऐसा नजारा,दीर्घावधि,
होतो जनमानस में होगा,उल्लास,
आऐगा वारिश में पर्व-पर्वाणि,
नानाविध पकवान का लुत्फ़।।
और अब लॉकडाउन से अवकाश,
गृहिणी बनाएं व्यंजन,पसंद,पति,
सुत,सुता का भी रखें ध्यान सघन,
वरखा-रानी ने ठंड़क,लाई,तन-मन।।
भूलके आधि,व्याधि का आक्रोश,
ललना-लली,समर्पित,घर-संसार,
मनोरंजन,आमोद,प्रमोद,भरपूर,
अहो!कितना मोहन है यह बरखा।।!
अरुणा अग्रवाल।
लोरमी।छःगः।🙏
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