निशा अतुल्य

अपना क्या है 
1.6.2021

मात पिता ने दिया ये जीवन 
उनका बड़ा उपकार हुआ 
तन मन सब दिया उन्होंने
अपना क्या है जीवन में ।

अहंकार क्योंकर आता है
संस्कार नहीं ये उनके 
जीवन में जो पाई सफलता 
अथक परिश्रम हैं उनके ।

रंगमंच ये दुनिया सारी
सबको एक किरदार मिला
निभाया चरित्र सबने अपना
फिर दुनिया से कूच किया ।

मेरा मेरा मत कर बंदे
जो कुछ है सब मिला यहीं
सांसो की माला का मनका
बिखर जाएगा यूँहीं कहीं ।

साथ न आया था कुछ भी
साथ न कुछ अब जाएगा 
माटी का जो तन मिला है
पंचभूत मिल जाएगा ।

कर्मपथ को छोड़ न मानव
जीवन ये बड़भाग मिला
रीत निभानी है समाज की
रह विरक्त हर काम किया।

अपना क्या है इस जीवन में 
बस अपनापन साथ गया
याद करेगी दुनिया बाद में 
नश्वर जग जब छोड़ चला।

स्वरचित
निशा"अतुल्य"

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