शख़्सियत
शानदार शख़्सियत बन जाते हो
जब करते अच्छे काम
नाम जग में होता रोशन
पाते हो सम्मान ।
डरना नहीं मुश्किलों से
बढ़ते ही जाना मन
मंजिल स्वयं पा जाओगे
नहीं रहेगा द्वंद।
रहना सदा बेबाक तू
लिखना नई तकदीर
परवाज़ भरना खोल पँख
बनाना एक तदबीर ।
बन कर नदी बहते रहो
करना पर उपकार
नाम सदा जग में रहे
जीवन अपरम्पार ।
शानदार शख़्सियत रहो
कर जग हित के काम
बुरा न देखो, बुरा न बोलो,
बुरा करो न काम ।
स्वरचित
निशा"अतुल्य"
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