सुधीर श्रीवास्तव

सिंदूर
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ऐसे कहने को तो मात्र 
लाल पीला पाउडर भर है,
पर अहमियत में देखिए
तो कितना बड़ा है।
मात्र एक चुटकी सिंदूर का
कितना महत्व है,
पल भर में ही जब 
किसी नारी की माँग में सजता है,
सुर्ख जोड़े में सजी धजी
दुल्हन बनी नारी का सौंदर्य
तेज बनकर निखर उठता है,
दो अनजाने शख्स का
रिश्ता अटूट बन जाता है।
आज तक जो नाजों से 
पल बढ़ रही थी,
नाममात्र का सिंदूर 
माँग में क्या सजा
पराये घर परिवार का
अटूट हिस्सा बन जाती है।
एक चुटकी सिंदूर का
ये पराक्रम देखिए
जिस घर परिवार में जन्मी
खेली कूदी पढ़ लिखकर बड़ी हुई,
वहीं से सारे अधिकार से मुक्त हुई,
लेकिन यह विडंबना ही तो है
कि अब वो अंजाने घर परिवार
का हिस्सा बनकर,
सर्वस्व अधिकृत  हो गई।
एक चुटकी सिंदूर 
माँग में सजाकर जीवन भर
सुहागिन बन इठलाती है,
सिंदूर की खातिर ही नारी
खुद को भी कुर्बान करने के लिए
हर क्षण तैयार रहती है।
क्या गजब सिंदूर की महिमा है
इसी के इर्दगिर्द चलता सृष्टि चक्र
और संसार की खुशहाली है।
● सुधीर श्रीवास्तव
       गोण्डा, उ.प्र.
     8115285921
 © मौलिक, स्वरचित

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