*कुण्डलियाँ*
मोहन माधव सो रहें, चिपक यशोदा अंग।
मुख मुखरित मुस्कान है, स्वप्न सुखद है संग।
स्वप्न सुखद है संग, मिलेगी माखन मिश्री।
बाल विहार निहार, हँसे बैकुंठ खड़ीं श्री।
सौरभ देखे दृश्य, लगे जो पावन सोहन।
माया के अनुकूल, दिखायें लीला मोहन।।
✍🏻©️
सौरभ प्रभात
मुजफ्फरपुर, बिहार
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