रानी लक्ष्मीबाई
जलहरण घनाक्षरी
मणिकर्णिका था नाम,मोरोपंत की संतान,
असीम शौर्य की खान,काशी में जनम लिया।
घुड़सवारी का शौक,रखती पुरुष वेश,
कटार चलायी खूब, निपुण स्वयं को किया।
कानपुर के नाना की,थी मुँहबोली बहन,
राजा गंगाधर से था, विवाह उसने किया।
विवाह हुआ फिर भी,मनमौजी वह रही,
रानी बनने के बाद,झाँसी रक्षा प्रण लिया।
जब हुआ पुत्र शोक ,झाँसी अथाह दुःख छाया,
गंगाधर को भी फिर,मृत्यु ने जकड़ लिया।
रानी हुई असहाय, विकट समय आया,
रानी ने हिम्मत कर,राजकाज हाथ लिया।
सुन के रानी की गूंज, फिरंगी थे घबराए,
झाँसी की हड़प नीति ,सपना कठिन किया।
पराक्रमी रानी तब,वीरांगना बन गयी,
टूट पड़ी बन ज्वाला,दुष्टों का संहार किया।
ओम प्रकाश श्रीवास्तव ओम
तिलसहरी, कानपुर नगर
9935117487
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