मेरी पावन शिवकाशी
मन में सुंदर भाव यही हो, बनना है काशीवासी;
शिवशंकर भोलेबाबा को, जपने का बन अभ्यासी;
गली-गली में विश्वनाथ का, डमरू खूब बजाना है;
धूम मचाओ भंग जमाओ, रंग जमाओ शिवकाशी।
मत बनना चाण्डालचौकड़ी,रहना मन से सन्यासी;
बिना स्पृहा के रच-बस जाना, बनकर दास और दासी;
सदा घूमना एक चाल से, गंगा जी में स्नान करो;
बाबा विश्वनाथ के दर्शन,हेतु घूम बस शिवकाशी।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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