अरुणा अग्रवाल

शीर्षक"बादल और वर्षा"


मानसून की हुई दस्तक,
बादल,वर्षा दोनों आऐ,
चोली,दामन साथ जैसा,
कैसा प्रीत यें हैं सुनाऐं।


ग्रीष्म के तपिश का थमना,
और बरसात का हुआ आना,
मोहन,मनभावन,नजारा भाऐ,
पर्व-पर्वाणि का आहट,मनको लुभाऐ।।


बादल गरजे कभी घोर,धीमे,
गरजता मेघ बरसता नहीं,मित,
पर दोनों का है अमिट रिश्ता,
जो युगों से है प्रसिद्ध,चित्ताकर्षक।।


आषाढ़ माह का हुआ आगमन,
द्वितीया को जगन्नाथ-रथयात्रा,
समग्र विश्व में कीर्ति-डंका,बजाऐ,
पावन,मनभावन झांकी ,लगे सुहानी।।


बादल कभी ढाऐ कयामत,
किसान का हितैषी बन जाऐ,मित,
बारिश कभी तेज तो धीमी,गति,
गर्जन, ईन्द्रधनुषी छटा मन पपीहा,गाऐ,।।

अरुणा अग्रवाल।
लोरमी,छःगः
🙏🌹🙏

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