मन्शा शुक्ला

 ....सुप्रभात

शंकर सुत हे गौरी नन्दन।
बारम्बार करूँ मैं वन्दन।।
चन्दन रोली माथ लगाऊँ।
पुष्पहार से कंठ  सजाऊँ।

भोग  लगाऊँ  लड्डू मेवा।
विघ्न हरो हे गणपति देवा।।
सूनो प्रभु अब अरज हमारी।
दुखिया आयी शरण तिहारी।

मन्शा शुक्ला
🙏🙏🙏🙏🙏

कोई टिप्पणी नहीं:

Featured Post

दयानन्द त्रिपाठी निराला

पहले मन के रावण को मारो....... भले  राम  ने  विजय   है  पायी,  तथाकथित रावण से पहले मन के रावण को मारो।। घूम  रहे  हैं  पात्र  सभी   अब, लगे...