चेतावनी
तूने जीवन की अब तक
आधी सुनी है कहानी
अंतिम सत्य इसे जानकर
ना कर नादानी
नही तो,स्वर्ग लोक की आशाओं पर
फिर जाएगा पानी
तू उपेक्षा सह चूका है
तू घृणा में दह चूका है
पहाड़ सा टूटकर,गिरा था संकट
अतीत याद है तुझे
कपट के कटु पाश में फंसकर
एक दिन तू लूटा था
तेरे हृदय के अंदर है विधाता
हर क्षण याद कर
आत्मविश्वास और आत्मसंयम से
कर सकता है नव निर्माण
इस कलयुग में
रात सा दिन हो गया था
फिर भी कोरोणा संकट ने
रात लाई और काली
लग रहा था अब न होगा
इस निशा का फिर सबेरा
आत्मविश्वास कभी न खोना
क्योंकि नाश के दुःख से कभी
दबता नही,निर्माण का सुख
जिंदगी जीना आसान नहीं होता
बिना संघर्ष कोई महान नहीं होता
जब तक न लगे हथौड़े की चोंट
पत्थर भी भगवान नही बनता
तूने जीवन की अब तक
आधी सुनी है कहानी
अंतिम सत्य इसे जानकर
ना कर नादानी
नूतन लाल साहू
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