मेहनत!
बिना मेहनत के कुछ हो नहीं सकता,
पृथ्वी गति न करे, तो दिन निकल नहीं सकता।
मेहनत से ही चलता है किस्मत का सिक्का,
मेहनत बिना जीवन संवर नहीं सकता।
मेहनत की खुशबू से है धरा महकती,
उड़ें न भौरा तो कली तक पहुँच नहीं सकता।
सजा रहता है झूठ हमारी जुबानों पे,
डगर सत्य की न पकड़ें मोक्ष मिल नहीं सकता।
किसान अगर वो मेहनत से बीज न बोये,
तो एक भी दाना खेत से मिल नहीं सकता।
सिंहासन भी बिना मेहनत के मिलता नहीं,
बिना हिम्मत के कोई जंग जीत नहीं सकता।
कुदरत से अदावत करना घाटे का सौदा,
तनी उसकी भृकुटी तो कोई बच नहीं सकता।
एटम-बम,मिसाइलें, बारूद दरिया में डाल,
संयम के बिना जहां में टिक नहीं सकता।
मेहनत का फल आज नहीं,तो कल मिलेगा,
बिना बूँद के सागर कभी भर नहीं सकता।
मनुष्य है अपने भाग्य का स्वयं निर्माता,
बिना कठोर श्रम के सृजन कर नहीं सकता।
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दिल तेरा चुरायेंगे!
चोरी -चोरी दिल तेरा चुरायेंगे,
रफ्ता -रफ़्ता पास तेरे आयेंगे।
दिन गुजरेँगे सारी मस्ती में,
हम जमाने को भूल जायेंगे।
बुझेगी प्यास हम दीवानों की,
जामभरी आँख में डूब जायेंगे।
सुलग रही आग बिना पानी की,
तेरी दरिया में उसे बुझायेंगे।
घुट रहा है दम दरो -दीवारों में,
जुहू - बीच जाके लौट आयेंगे।
कैसे जाओगे लॉकडाउन में,
आसमां में आशियाँ बसायेंगे।
तन्हाइयों से कोई कितना खेले,
प्यार का गुल नया खिलायेंगे।
हया भरी है मेरी इन आँखों में,
मंद -मंद मुस्कान वो चुरायेंगे।
रात -रात नींद मुझे नहीं आती,
हम ख़्वाबों में रोज सुलायेंगे।
अब आ रही है जुदाई की बेला,
दो जिस्म, एक जां हो जायेंगे।
चोरी -चोरी दिल तेरा चुरायेंगे,
रफ़्ता -रफ़्ता पास तेरे आयेंगे।
दिन गुजरेंगे सारी मस्ती में,
हम जमाने को भूल जायेंगे।
रामकेश एम. यादव(कवि,साहित्यकार), मुंबई
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