*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया*
🌸🌸🌸🌸🌸🌸
*सावन*
◆ सावन लाए झूम के , बूंँदों की बौछार।
इन्द्रदेव हर्षित हुए , गाए शुभ मल्हार।
गाए शुभ मल्हार , ढोल मृदंग बजाए।
नाचे छम छम बूंँद, कहकहा खूब लगाए।
कह स्वतंत्र यह बात , धरा अनुपम मनभावन।
ऋतुओं में ऋतुराज, कहाता है यह सावन।।
◆ सावन हरियाली लिए, धरा बनाए खास।
हरित पर्ण शोभित सजे, पुष्प सुविकसित आस।
पुष्प सुविकसित आस , धरा नव जीवन पाए।
इंद्रधनुष आकाश, सप्त रंग भाव सजाए।
कह स्वतंत्र यह बात, वास शिव का अति पावन,
निर्मल हो जलधार, ऋतु आए जब सावन।।
◆ सावन की शोभा अलग , व्रत पूजा त्यौहार।
नाग पंचमी को करो, नाग देव सत्कार।
नाग देव सत्कार, बाद हो रक्षाबंधन।
रक्षा का संकल्प, माथ भाई के चंदन।
कह स्वतंत्र यह बात, वरुण का नाम लुभावन।
पूजन अर्चन भाव, देव ऋतु पावन सावन।।
*मधु शंखधर स्वतंत्र*
*प्रयागराज*✒️
*25.06.2021*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें