शय जिन्दगी है दिलकश, उनको पता नहीं,
जिनको कभी किसी से ,मुहब्बत हुई नही।
लज्जत बड़ी तड़प में, वफा क्या पता नहीं,
चाहत की चोट दिल पर, जिनके लगी नही।
मदहोश बेखुदी का ,आलम पता नही,
आँखों में जिनके सूरत ,हमदम बसी नही।
क्या इंतजार होता, है बेशक पता नहीं,
आँखें ये मुन्तजिर कभी, जिनकी हुई नही।
दिल की किताब पढ़ ले, नजर कब पता नही,
अहसास की कहानी, लब ने कही नही।
करते जतन सभी, क्यूँ न सम्भले पता नही ?
चाहत सनम जहाँ में ,छुपती कभी नही ।
सौदागरी वफा की उनको पता नही।
जिसने कभी मुहब्बत, शर्तों पे की नही।
स्वरचित-
डाॅ०निधि त्रिपाठी मिश्रा
अकबरपुर ,अम्बेडकरनगर
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