यशपाल सिंह चौहान

हकीक़त जाननी

गर हकीकत जाननी है तो अपने अंदर झाँक के देख।
किसी को नजर में गिराने से पहले आंँख मिला के देख।।

सारे जहांं में मुकम्मल नहीं है कोई भी दस्तकार ।
गैरत बचाने के लिए इंसानियत को तराश के देख।।

क्यूँ ना जाने बेशुमार मुगालते पाल रखे हैं तुमने।
ईमान से झूठ फरेब का यह दामन छुड़ाकर के देख।।

 इस नफरतों से भरे दिल में बढ़ी हैं खलिश बेइंतेहाँ।
टूटे हुए दिलों पर मोहब्बत भरा लेप चढ़ा के देख।।

जुनून,पागलपन आपसी तनाज़ा, दिलों में खौफ है यश।
ऐसे उजड़े चमन की बेबसी खुद महसूस करके देख।।

यशपाल सिंह चौहान
  नई दिल्ली

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