रक्त दान दिवस
कुछ न अपना हित सँजोता, रक्त दान में है हर्ष,
मनुज को जीवन देता, सतत कितने वर्ष।
प्यार, करूणा और दया से भर रहा है मर्म,
दुःख सहन, मनुज सेवा, त्याग रक्त दाता के धर्म।
मानवीय मन में पले न अब कोई दुर्भावना,
श्रेष्ठता अंकुरित हो,यही रक्त दाता की है सबसे कामना।
रक्त दान कर ही 'लोकसेवी 'व्यक्तित्व निखरता है,
दुर्लभ मनुष्य जीवन, यूँ ही तो सँवरता है।
सब प्राणियों में मानव ही श्रेष्ठतम इस लिए है,
दान,धर्म, दया,करूणा, विवेक की भी संपदा लिए है।
इस हेतु दान में महा दान रक्त दान करते रहें सदा ही,
'सर्वे भवन्तु सुखिनः का मंत्र स्मरणशक्ति सर्वदा ही।
देश-समाज, लोक-मंगल हित, स्वस्थ मनुज हँसकर रक्त दान करे,
भरें उदात्त भावना उर में, दुखी बिमार की पीर हरें।
अंधकार, अज्ञान, अनय की,छाया से हम दूर रहें,
फुलों-सी मुस्कान बिखेरे,आतप, वर्षा, शीत सहें।
मुरझाए, कुम्हलाए,मूर्च्छित, प्राण-पुष्प हों हरे-भरे,
समता-ममता की छाया में मानव से मानव रक्त दान करे।
डॉक्टर रश्मि शुक्ला(समाज सेविका)
प्रयागराज
उत्तर प्रदेश
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें