अरुणा अग्रवाल

नमन मंच,माता शारदे,सुधिजन
शीर्षक "प्रेम और स्पर्श"

"प्रेम शब्द है अपरिमित,
जिसको बयाँ करना,मुश्किल,
है यह छोटा,पर जहाँ है समाया,
प्रेम से बड़ा काम होता सरल।।

मीरा,श्रीराधा,रुक्मिणी,मिसाल,
प्रेम से कर दिखाया बड़ा कमाल,
जो काम नहीं हो सकता अस्त्रों से
वह आसान औ मुमकीन,प्रेम से।।

मुमताज का अमिट प्रेम-कहानी,
शाहजहां ने बनाया ताज़महल,
संगमरमरी,कलाकारों ने करिश्मा,
जो की सप्ताश्चर्ज में सुमार-उत्तम।।

प्रेम और स्पर्श का तालमेल,
कोई मन से करता मेहसूस,
कोई स्पर्श-सुख खोजे,तन,
पर मन और मनन है काफी।।

प्रेम है चिर पूरातन,नितय नूतन,
सत्य से कलि हर युग और काल,
प्रेम चाहे प्रेमिक,प्रेमिका,संसारी,
सुदामा-कृष्ण हो या त्रिपुरारी,
प्रेम का महिमा है अति पावन।।

अरुणा अग्रवाल।
लोरमी,छःगः,
🙏🌹🙏

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