वीरता,पराक्रम एवं त्याग के प्रतीक महाराणा प्रताप की जयंती पर शत शत नमन 🙏🙏
*महाराणा प्रताप*
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धन्य हुई मेवाड़ी माटी,वीर सपूत ने जन्म लिया,
चंहु ओर खुशियाँ फैली,वो बालक नन्ना हर्षाया।
बज उठी शहनाई, मिल कर सब ने मंगल गाया,
बटी मिठाई खुशियों का घर में परचम लहराया।।
बचपन रूपी हठखेली में ही योद्धा की परछाई,
देख-देख लगता जैसे उसने वीरों की शोभापाई।
राष्ट्र धर्म की समर्पण भावना, हर मन को भाई।
चांद सूरज सी तेजलालिमा उसमें जो है समाई।।
आन-बान-शान की माटी पर जब संकट आया,
मेवाड़ी वीर सपूत वो प्रताप सबसे आगे पाया।
अडिग हिमालय जैसा,दुश्मन भी डिगा न पाया,
मातृभूमि की रक्षा खातिर अपना धर्म निभाया।।
अकबर भी हाफ गया था,प्रतापी उस हुंकार से,
ऐसा अदम्य शौर्य देखा राजस्थानी ललकार में।
जाने कितने सिर काटे थे,राणा की तलवार ने,
मेवाड़ी माटी के चर्चे गूंज रहे थे दिल्ली दरबार में।।
भाला का ऐसा परचम,दुश्मन को चने चबाये,
स्वामीभक्त चेतक घोड़ा भी अपनी टाप सुनाये।
झुके नहीं मुगलों आगे कितने अनुबंध ठुकराये,
राष्ट्र भक्ति के आगे दुश्मन ने कितने डोरे डाले।।
पूंजा भील प्रतापी आभा,आज भी महक रही,
वीरगाथाओं में महाराणा की खुशबू फैल रही।
फोलादी हाथों से राजस्थानी माटी चहक रही,
कण-कण में मानवता की झांकी चमक रही।।
©®
रामबाबू शर्मा,राजस्थानी,दौसा(राज.)
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