संगीता चौबे पंखुड़ी

विषय। योग दिवस
विधा। कविता
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अंतरराष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।


योग को दिनचर्या का, हिस्सा बनाएं,
रोग को समूल,  हम सब दूर भगाएं ।

योग का अर्थ है, भोग को छोड़ना,
मन को, मोह से तोड़ना,
स्वयं को, प्रकृति से जोड़ना,
चित्त की वृत्तियों को, सिकोड़ना ।
आओ, लुप्त हुई संवेदना को जगाएं ।
योग को दिनचर्या का, हिस्सा बनाएं ।।

बैठ जाएं लेकर, प्रतिदिन आसन,
करें पद्मासन, भुजंगासन या चक्रासन,
आधा घंटा उपरांत ही,
मुख में डालें, कोई प्राशन ।
शरीर शुद्ध, सात्विक,पावक बन जाए ।
योग को दिनचर्या का, हिस्सा बनाएं ।।

योग करता तन को निरोग, देता मन को शांति,
योग करें तो मिट जाए,  सारी भ्रांति,
मन हो जाए, प्रफुल्लित,
मुख पर आ  जाए, ओजस्वी कांति ।
योग से काया को, स्वस्थ, सुडौल बनाएं ।
योग को दिनचर्या का, हिस्सा बनाएं ।।

योग प्राचीन ऋषि पतंजलि का ज्ञान है,
आधुनिक नहीं, बल्कि पुरातन काल का विज्ञान है,
यह केवल भारत तक ही सीमित नहीं,
आज विदेशों में भी, योग के संस्थान हैं ।
हम भी योग को, जन - जन में फैलाएं ।
योग को दिनचर्या का, हिस्सा बनाएं ।।


संगीता चौबे पंखुड़ी,
 इंदौर मध्यप्रदेश
स्व रचित एवम् मौलिक रचना

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