शिवदर्शन (उल्लाला छंद)
शिवदर्शन को नित्य कर,शिव व्यवहार पढ़ो-लिखो।
शिव संकल्प करो सदा,शिव के सदृश ही दिखो।।
सबके हित में मन लगे,सबका नित उपकार कर।
करो सभी से बात प्रिय, चल मधुराकृति रूप धर।।
दूषित भावों से बचो, उर पावन करते रहो।
विकृतियाँ मरती रहें, शुद्ध वायु में नित बहो।।
सबका दुख अपना समझ, संवेदना सदा रहे।
नेक बने चलते रहो,सात्विक भाव सतत बहे।।
सबके प्रति कल्याण का, जहाँ दिखता कीर्तन है।
हर्षण संघर्षण बिना,मधुर रहता दर्शन है।।
आदि देव शिव को जपो, शिव ही परम विराट नित।
सकल सृष्टि के ईश शिव,चिंतन करते जगत हित।।
रचनाकार:डॉ०रामबली मिश्र हरिहरपुरी
9838453801
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