नमन साहित्यिक मंच,माता शारदे
शीर्षक "योग एवं आध्यात्म"
भारतीय सभ्यता,संस्कृति पुरातन,
अरू नित्य नूतन लिऐ,वैभवता,
योगका रहा समुचित योगदान,
जिससे मिलता निरोगी काया।।
प्राचीन काल से ऋषि,मुनियों ने,
अपनाया योग को योग्य-विधा,
ब्रह्म मुहूर्त में जागरण से दीर्घायू,
योग,आध्यात्म का समावेश-सहर्ष ।।
नैतिकता,आध्यात्म,पूजा,अर्चना,
सुबह,शाम का हवा,बिन पैसे-दवा
जिससे रहे मनुज स्वस्थ,प्रसन्न,
आधि,व्याधि,उपाधि रहित,मन।।
जब तन-मन रहे खुशहाल,सदैव,
जरा,विकार,क्लेश से रहे दूर,
एक सर्वगुणसंपन्न-व्यक्तित्व,
स्वतः होता निर्माण,नामचीन।।
इन्द्रियां रहते काम,मद से दूर,
लोभ,ईर्ष्या,अहंकार का नाश,
सोपान चढ़ता,बन जाता सुजान,
और उसका बढ़ता प्रभाव-मृणाल।।
सत्य से कलि हर युग में प्रथम,
योग,आध्यात्म के लिऐ,भारत,
समग्र विश्व में रहा,सर्वोच्च,देश,
आज के परिप्रेक्ष्य में भी,अग्रणी।।
अरुणा अग्रवाल।
लोरमी,छःगः,
🙏🙏
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