देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

...............मौसम उदास...............

कभी  अनावृष्टि से है मौसम  उदास ।
कभी  अतिवृष्टि से है मौसम  उदास।।

जीव जंतु तड़पते,मानवता सिसकती;
असहाय जीवन से  है मौसम उदास।।

किसान,मजदूर रोते,मचता हाहाकर ;
उम्मीद न दिखने से है मौसम उदास।।

कुछ न हम कर पाते,मुट्ठी भींचे रहते;
इस निष्क्रियता से है  मौसम उदास।।

देखते रहे जंगल उजड़ते,कुछ न कहे;
बिगड़ती हालत से है  मौसम उदास।।

हर प्रकार के अन्याय से भारी होकर;
अधिक निर्ममता से है मौसम उदास।।

कहीं तो कोई उम्मीद दिखे "आनंद" ;
सुबुद्धी देख खुश हो मौसम उदास ।।

-------देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"
823डी,मोतीलालगुप्ता रोड,कल82

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