नमन माँ शारदे
नमन मं
विषय-ढलती शाम
ऐ ढलती हुई शाम ,तेरे संग आज जीवन का मेरे
इक और दिन ढल गया
तू जा रही आगोश में निशा के अब,
तेरे संग में भी थका सा अपने घर को चला
तू हमराही सी मेरी है,तभी तो मुझको भांति है
रवि के तेज में मैं जला मुझे तू सुकून दे जाती है
कुछ क्षण का साथ जब मुझे मिलता जो तेरा ढलती शाम
अपने नित्यकर्म से लेता बिदा,चाहता संग तेरे कुछ पल का विश्राम
माना कुछ देर में तू भी चाँद तारों में कहीं खो जाएगी
मैं भी पहुँच जाऊंगा मंजिल पर अपनी,निंदिया मुझे भी आएगी
नंदिनी लहेजा
रायपुर(छत्तीसगढ़)
स्वरचित मौलिक
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