नूतन लाल साहू

एकता का संदेश

अपनी धरा अपना गगण
अपनी हवां अपना चमन
पर दरवाजों से ना दीवालो से
घर बनता है घर वालों से
आपस में ना हो भाईचारा तो
घर भीतर ही भीतर रोता है
सबकी मधुर कल्पनाएं
धरा का धरा रह जाता है
आपस में हो एकता तो
घर बचा रहेगा, बवालो से
सच कहता हूं प्यारे
घर हंसता है बाल गुपालो से
दरवाजों से ना दीवालो से
घर बनता है घर वालों से
अगर प्रेम का ईंट और गारा हो
हर नींव में भाई चारा हो तो
कल जो नईं भोर होगी
खुशी से सराबोर होगी
घर की एकता को देखकर
दुनिया कहेंगी,मुबारक मुबारक
एकता में ही वो शक्ति है
ना मन में उदासी होगी और
ना ही कमी होगी,धन की
उमंगों से भरी होगी,सबका मन
दरवाजों से ना दीवालो से
घर बनता है घर वालों से
एकता से ही,नफरत थमेंगी
सफलता की यही है कहानी
बस इंसान,इंसान का मित्र हो
रिश्ता दिलों का सुपवित्र हो
दरवाजों से ना दीवालो से
घर बनता है घर वालों से

नूतन लाल साहू

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