अंतर्मन से!
एक पल यहाँ हँसना है,एक पल यहाँ रोना है।
कुदरत का नियम कहता,आना और जाना है।
प्यासा ये गगन सारा, प्यासी ये धरती है।
जग प्यार बिना सूना, ये दुनिया कहती है।
कुछ देकर दुनिया को, एक दिन उड़ जाना है।
कुदरत का नियम कहता,आना और जाना है।
एक पल यहाँ हँसना है.......
दो दिन का मेला है, दो दिन का खेला है।
मिल करके बिछड़ जाओ,हर कोई अकेला है।
बस रहे कृपा उसकी, ये ध्यान लगाना है।
कुदरत का नियम कहता,आना और जाना है।
एक पल यहाँ हँसना है..............
तेरा कर्म तेरी पूजा, कोई और नहीं दूजा।
निष्काम किया जिसने,कण-कण में वही गूँजा।
हाँथों की लकीरों को, कर्मों से सजाना है।
कुदरत का नियम कहता आना और जाना है।
एक पल यहाँ हँसना है..........
लालच न चालाकी हो,मतलब का न साक़ी हो।
अंतर्मन से पीना, कुछ और न बाकी हो।
झूठी मुस्कानों से, पीछा ये छुड़ाना है।
कुदरत का नियम कहता आना और जाना है।
एक पल यहाँ हँसना है...............
रामकेश एम.यादव(कवि,साहित्यकार),मुंबई
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