सुन आत्मा को
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आत्मा की
आवाज ।
कोई सुनता नहीं ।
इसलिए
ही तो ,
हम मानवता से
बहुत दूर
कोशों दूर -
हुए जा रहें है ।
जब हम सुनते
आत्मा की
आवाज ।
तब हमारा
होता खुद से
साक्षात्कार ।
हम
हम नहीं रहते,
ईशमय
होते हैं ।
तब कोई न मित्र
न कोई दुश्मन ,
हर जन अपना।
दुनिया तो
बस एक सपना।।
कोई नहीं
सब झूठ है ।
माया का सब
एक रूप है ।।
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व्यंजना आनंद मिथ्या आनंद
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