अमरनाथ सोनी अमर

मुक्तक- देश प्रेम! 

मात्रा- 30.
देश- प्रेम रहता है जिसको,     लालच  कभी  न करता है! 
सर्व-समाजहित स्वजनोंका, 
वही  बिकास  तो करता है! 
किन्तुआजका कौनजमाना, 
खाते  जन - भण्डार  सभी! 
फिरभी उनका पेट न भरता, 
पेट- --पीटता  फिरता   है!! 

लालच जिन्हें  सवार हो गया, 
वह   चुनाव  तो   लड़ता  है! 
जनमत प्रेम दिखाता फिरता, 
झूँठा     वादा     करता    है! 
मत  लेकर  कुर्सी  जब पाया, 
देश --प्रेम  से   अलग   हुआ! 
जनता  वादा  भूल  गया  वह, 
वही    लुटेरा     बनता    है!! 

अमरनाथ सोनी "अमर "
9302340662

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