काव्य रंगोली

"काव्य रंगोली परिवार से देश-विदेश के कलमकार जुड़े हुए हैं जो अपनी स्वयं की लिखी हुई रचनाओं में कविता/कहानी/दोहा/छन्द आदि को व्हाट्स ऐप और अन्य सोशल साइट्स के माध्यम से प्रकाशन हेतु प्रेषित करते हैं। उन कलमकारों के द्वारा भेजी गयी रचनाएं काव्य रंगोली के पोर्टल/वेब पेज पर प्रकाशित की जाती हैं उससे सम्बन्धित किसी भी प्रकार का कोई विवाद होता है तो उसकी पूरी जिम्मेदारी उस कलमकार की होगी। जिससे काव्य रंगोली परिवार/एडमिन का किसी भी प्रकार से कोई लेना-देना नहीं है न कभी होगा।" सादर धन्यवाद।

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सुधीर श्रीवास्तव

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मैं कौन हूँ? ********** प्रश्न कठिन है ये कह पाना कि मैं कौन हूँ? कोई भी विश्वास से कह नहीं सकता कि मैं कौन हूँ? पर दंभ में चूर होकर जाने कि...

आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

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पावनमंच को मेरा सादर प्रणाम, आज के विषय में लेखनी समाज व परिवार को ताकत व बुलन्दियों तक अँटाने वाली शख्सियत ।। महिला।। पर चली है,अवलोकन करें...

एस के कपूर श्री हंस

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*।।वरिष्ठ नागरिक।।* *।।बस चलते रहना ही जिंदगी है।।* *।।विधा।।मुक्तक।।* 1 अभी  बहुत दूर जाना  और जिंदगी      अभी  बाकी  है। जोशो ओ  जनून बने ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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दूसरा-6 क्रमशः......*दूसरा अध्याय*(गीता-सार) स्थिर जन जग बोलहिं कैसे? चलहिं-फिरहिं-बैठहिं वइ कैसे??       सुनि अर्जुन कहँ,कह भगवाना।        ...

नूतन लाल साहू

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अभिलाषा क्या भूलूं क्या याद करूं मैं निश्चित है इस जग से जाना मन की अभिलाषा बाकी ही रह गया चलता किंतु रहा जीवन भर रो रो करके पछताता हूं सुनह...

मन्शा शुक्ला

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परम पावन मंच का सादर नमन               सुप्रभात 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹 सुमिरन  करूँ  वीर  हनुमाना। तजि के मन के सब अभिमाना।। ...

मधु शंखधर स्वतंत्र

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*स्वतंत्र की मधुमय कुण्डलिया* *कागा* ----------------------------- कागा का संदेश है, अतिथि आगमन आज। पूज्य अतिथि हो जहाँ, एकछत्र  हो राज। एकछ...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल कितने अजब ये आज के दस्तूर हो गये कुछ बेहुनर से लोग भी मशहूर हो गये  जो फूल हमने सूँघ के फेंके ज़मीन पर कुछ लोग उनको बीन के मगरूर  हो गये ...

रामबाबू शर्मा राजस्थानी

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.   🙏किया मेरे मन को भाव विभोर🙏  1   जीवन-रूपी इस नैया को,पार लगाना है,   समझ सबके आ गई,ईश्वर ही है सिरमोर।   कोरोना को हराने में जो कर रह...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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दोहे जब तक बालक-रूप है,रहता नहीं विकार। उम्र  बढ़े  तो  आ बसे, माया  का  संसार।। नीले-पीले-बैगनी, सब  रँग  मिले  पतंग। उड़े गगन की छोर तक,पवन-...

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर

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शीर्षक ---पल का परिवर्तन-- सिर्फ एक पल ही खुशियां जीवन में प्राणि समझता है,परमेश्वर स्वयं सिद्ध परमेश्वर व्यख्याता।। सिर्फ एक पल की खुशियों ...

नंदलाल मणि त्रिपाठी पीतांम्बर

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डॉक्टर डे विशेष--- शीर्षक-डॉक्टर भगवान-- ईश्वर घट घट में रहता  हर मानव ईश्वर का प्रतिनिधि कर्मो से देव दानव कहलाता।। प्राणि ही प्राणि का भक्...

रामकेश एम यादव

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डॉक्टर! थकते नहीं ये रुकते नहीं मौत से लड़ते हैं। बाजी लगाकर जान की ये निदान करते हैं। ईश्वर के बाद हम डॉक्टर को  याद करते हैं। इस महामारी मे...

रामबाबू शर्मा राजस्थानी

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.            *हाइकु*                                   पर्यावरण             बढ़ता प्रदूषण             जतन  करे ।         🌱🌱🌱🌱🌱         ...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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दूसरा-5 क्रमशः......*दूसरा अध्याय*(गीता-सार) सुभ अरु असुभयइ फल कै भेदा। निष्कामी नहिं रखहिं बिभेदा।।       जे जन मन रह भोगासक्ती।       अस ज...

नूतन लाल साहू

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मेरा परिचय मिट्टी का तन,मस्ती का मन मेरे पथ में है कांटे ही कांटे आसान नही लगता है मुझे फूलों की दुनिया को पाना क्षण भर का है मेरा जीवन है य...

विनय साग़र जायसवाल

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ग़ज़ल -(हिन्दी में) तुमने जो निशिदिन आँखों में आकर अनुराग बसाये हैं  हम रंग बिरंगे फूल सभी उर-उपवन के भर लाये हैं हर एक निशा में भर दूँगा सूरज...

डॉ0 हरि नाथ मिश्र

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गीत(16/14) डाल-पात सब झूम रहे हैं, धरती पर हरियाली है। नाच रहे हैं मोर छबीले- मस्त घटा घन काली है।। हरी-भरी सीवानें झूमें, कृषक झूमते फसलें ...

देवानंद साहा आनंद अमरपुरी

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सिर्फ एक पल...................... वक़्त का सदुपयोग तक़दीर बदल देता है। वक़्त का दुरुपयोग तस्वीर बदल देता है।। पहचान करना व...

निशा अतुल्य

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आज की एक रचना काव्य रंगोली मंच को समर्पित  🙏🏻 रूठो न ,रूठो न हमसे सनम जान हमारी जाती है । चाहे ले लो,ले लो हमसे कसम  रूठो न,रूठो न हमसे सन...

रामकेश एम यादव

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अंतर्मन से! एक पल यहाँ हँसना है,एक पल यहाँ रोना है। कुदरत का नियम कहता,आना और जाना है। प्यासा  ये  गगन  सारा, प्यासी  ये  धरती  है। जग  प्या...

अरुणा अग्रवाल

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नमन मंच,माता शारदे,गुणीजन शीर्षक "जीवन एक संघर्ष" 2।07।2021। मानव जीवन मिलना ,सौभाग्य, देव-देवी भी चाहते यह जनम, परिवर्तन भी है सा...

आशुकवि रमेश कुमार द्विवेदी चंचल

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पावनमंच को प्रणाम, आज की रचना ।। डाक्टर डे।। पर मनोविनोद व व्यंगात्मक है,चिकित्सक बन्धुओं से क्षमा,व पाठक समाज अन्यथा नही ,केवल आनन्द लें......

सुधीर श्रीवास्तव

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अवसान होना चाहिए ***************** परिवर्तन सृष्टि का नियम है यह सबको आभास होना चाहिए, कुछ भी हो,कैसे भी हो मगर गलत परंपराओं का  अवसान होना ...

अमरनाथ सोनी अमर

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गीत- मन!  2122,2122, क्यों दुखी हो, अब यहाँ मन!  यार सुन लो, जान कर मन!!  ना  भरोषा,  कर  किसी  का!  सत्य   कहता   हूँ,   सलीका!  देत धोखा, ...
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