मधु शंखधर 'स्वतंत्र' प्रयागराज

*मधु के मधुमय मुक्तक*
🌹🌷💐🌹🌷💐
*विषय -- प्रेम*


◆ *प्रेम* कृष्ण की बाँसुरी,राधा का अनुराग।
मीरा की वीणा बजी,अन्तर्मन में त्याग।
प्रेम सुदामा का अटल, सहज सखा सम भाव।
दीन सुदामा जब मिले ,गया प्रेम तब जाग।।


◆प्रेम भक्ति के भाव में, दर्शन की बहु प्यास।
माता की ममता यही, पिता ह्रदय में खास।
प्रेम बिना बंधन नहीं, मिथ्या सारे भाव,
प्रेम ईश का रूप है, प्रेम अटल विश्वास।।


◆प्रेम शब्द पूरा नहीं, जाने सकल समाज।
प्रेमी हिय से कर रहे, इस जीवन पर नाज।
त्याग बिना है प्रेम क्या? झूठ जगाए आस,
प्रेम त्याग का रूप है, *मधु* जीवन का राज।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र'*
*प्रयागराज*
*14.02.2020*
🌹🌹🌹सुप्रभातम्🌹🌹🌹


पम्मी सडाना आगरा

नाम: पम्मी सडाना
पता: 41, हीरा बाग
दयालबाग, आगरा - 282005
मो॰: 9997396865
कविता: बेटी......


निशा में अमावस की
पूर्णिमा का चाँद तुम
हो विशुद्ध पारस-सी
गरिमामय नाद तुम.


कर्ण में मेरे स्वर तुम्हारा
जैसे सारंग का गान हो
स्वर्ण जैसा तन तुम्हारा
मन सौन्दर्य की खान हो,
दुःख की तरंग में
सुख की हिलोर तुम
पीड़ा के आतंक में
क्रीड़ा की किलोल तुम;


प्रतिकृति तेरी मेरी देह में
आत्मा बन कर रहती है
इसीलिए तो बेटी को माँ
'आत्मजा' भी कहती है,
रैन के अज्ञ अन्धकार में
उदय हुआ रवि तुम
गहन यज्ञ की पुकार में
सौम्य कोई छवि तुम.


रंजीदा उर की प्राण-गति
श्वाँसों की तान हो
संजीदा सुर में स्नेह भरी
धड़कनों का गान हो,
द्वेष से भरे गगन में
प्रीतिकर अनुभूति तुम
रोष के आक्रंदन में
ईश्वर की स्तुति तुम;


निशा में अमावस की
पूर्णिमा का चन्द्र तुम
हो विशुद्ध पारस-सी
गरिमामय सर्वस्व तुम,


बिटिया हो मेरा गर्व तुम
निश्चय ही मेरा गर्व तुम !


अब्दुल समद राही

अब्दुल समद राही
प्रधान संपादक शबनम ज्योति,
सिलावट मोहल्ला, ढाल की गली,
सोजत सिटी-राज़स्थान
पिनकोड-306104,
मोबाइल नम्बर- 9251568499
ई मेल-
abdulsamadrahi1968@gmail.com


कविता-


"शंखनाद को छेड़ो"


अंधियारी रातों को तोड़
एक सवेरा आएगा
दुखः भरी निद्रा को तोड़
सुखः का सागर लाएगा


जात-पात के लिए लड़े हम
कोई धर्म नही कहता
कण-कण में भगवान हमारे
अन्तस मन में रहता


सत्य अहिंसा प्रेम हमारे
जीवन के अंग बन जाएं
खुशहाली के गीत भईया
मिलजुल कर हम गाएं


भटके हुए भी राह पाएं
वो दीपक हमें जलाना है
वीर शहीदों के मजार पर
पुष्प हमें चढ़ाना है


मनवता के लिए समर्पित
हमको सदा है रहना
कटु शब्द पीड़ा के हमको
कभी नहीं है कहना


उठ बैठो विश्वास करो
बेहोशी को छोड़ो
हल और कुदाले लेकर
शंखनाद को छेड़ो।


 


रोहित दाधीच कोटा राजस्थान परिचय

रोहित दाधीच
पता ग्राम व पोस्ट लुहावद तह.पीपल्दा जिला कोटा राजस्थान
मो0 8875322020,8079010122


रश्मि लता मिश्र बिलासपुर,सी,जी रचना प्यार की रीत

रश्मि लता मिश्र बिलासपुर,सी,जी
मो  9009588889


रचना
प्यार की रीत


ह्रदय में समाया हुआ प्यार है ,
राधा का मीरा का संसार  है ।


दीवानी मोहन की राधा यहाँ है,
 वश ना चले चुप रहती जुबाँ है।
दिल पर नहीं अपने अधिकार है,
राधा का मीरा का संसार है।


मीरा ने भक्ति में जग को है छोड़ा,
दुनिया लगाती रही राह रोड़ा।
दुनिया दारी से क्या  सरोकार है,
राधा का मीरा का संसार है।


हमने भी प्यार को निश्चल है जाना 
वफा का है दूजा नाम दीवाना।
दीवानेपन पर ऐतबार है,
राधा का मीरा का संसार है ।


कविता पंडित हेमन्त दुबे संडावता राजगढ मध्यप्रदेश

परिचय का प्रारूप
----------------------
1-नाम :-हेमन्त कुमार दुबे 
2-साहित्यिक नाम :- पंडित दुबे 
3-पिता/पति :-राजेन्द्र प्रसाद दुबे 
4-स्थायीपता :- बाजार चौक संडावता तहसील-सारंगपुर जिला-राजगढ मध्य प्रदेश 
पिन नंबर -465687
5-फोन नं/व्हाट्सएप/ ईमेल :- 9685410562
6-जन्मतिथि :- 20/06/1992
7-शिक्षा :- BSC (maths) MA (hindi)  
8-व्यवसाय :- स्कूल संचालक, शिक्षक, कवि ,मंच संचालक  
9-प्रकाशित पुस्तकों की संख्या :- नही
10-सम्मानों की संख्या :- 10
11-अंतरराष्ट्रीय सम्मानों की संख्या(यदि कोई हो तो) :-नही
12-रचना की विधा :- ओज और श्रृंगार
सभी मित्रो और आपके परिवार को नववर्ष की हृदय से हार्दिक शुभकामनाएँ. पेश है मेरी नही रचना -
शीर्षक -(नव वर्ष )
नई किरण से नया सवेरा,
नव निर्मित संसार हो।
नई रोशनी से प्रकाशित हो जग अपना , 
ऐसा हेमन्त नव वर्ष का त्योहार हो।। 
1.
चारो ओर खुशयाली हो,
चारो ओर ना अंधकार हो।
कोई दुखी ना रहे जग मे,
सबको खुशियो का अधिकार हो।
सबका सबसे अच्छा व्यवहार हो।।
ऐसा हेमन्त नव वर्ष का त्योहार हो।
2.
भारत एकता का देश हो।
सब धर्मो का बस भारतीय वेश हो।
आतंकवाद ना देश मे प्रवेश हो।
ऐसा प्यारा अपना देश हो।
दीन दुखियो के भी अच्छे घरबार हो।
ऐसा हेमन्त नव वर्ष का त्योहार हो ।
नई किरण से नया सवेरा,
नव निर्मित संसार हो।
नई रोशनी से प्रकाशित हो जग अपना हेमन्त , 
ऐसा हेमन्त नव वर्ष का त्योहार हो ।
रचना मौलिक एवं पूर्णत सुरक्षित आपका शुभेच्छु पंडित हेमन्त दुबे संडावता राजगढ मध्यप्रदेश


अंकिता जैन अशोक नगर कविता शिकन

अंकिता जैन' अवनी'
पता- पुराना बाजार जैन मंदिर के पास अशोकनगर मप्र


 


कविता


"शिकन"
आसमान में छाये जो,
मैं वो काले घन नहीं हूं,
जो कालिमा लेकर आये,
मैं वो कोई ग्रहण नहीं हूं।
मैं तो तेरा मान हूं बाबा,
तेरे माथे की शिकन नहीं हूं।
जो वेदना देती तुमको,
मैं वो कोई चुभन नहीं हूं,
जो आहूतियां मांगे बस,
मैं ऐसा कोई हवन नहीं हूं,
मैं तो तेरा गौरव बाबा,
तेरे माथे की शिकन नहीं हूं।
जो तेरे वंश को आगे बढ़ाये,
जानती हूं, मैं वो तेरा रत्न नहीं हूं,
जिसके जन्म की चाह थी तुम्हें,
मैं वो तेरा श्रवण नहीं हूं,
पर मैं तेरी लाडो प्यारी,
तेरे माथे की शिकन नहीं हूं।


देवानंद साहा मकर संक्रांति

लोक-संस्कृति का पर्व-


..............मकर संक्रांति...........


आया मकर  सक्रांति का त्योहार।
मन में श्रद्धा और खुशियां अपार।
पौष माह,शुक्ल पक्ष,अंतिम दिन,
पूरे देश में हम,मनाते यह त्योहार।


पोंगल, लोहड़ी, बिहू, पौष पार्बन,
अलग जगह, अलग  नाम विचार।
दही ,चूड़ा, गुड़, लड़ुआ ,तिलकुट,
तिल  संग  खिचड़ी ,खीर आहार।


सूर्य  मकर  राशि में  करते  प्रवेश,
दक्षिण  से  उत्तर  होता   घरबार।
गंगा-स्नान , पूजन-दान, बाद  मे,
नभ  में  पतंग  ,दीखते  भरमार ।


बंगाल   का  प्रसिद्ध   गंगासागर,
बिहार का  प्रसिद्ध  मेला मन्दार।
स्नान-दान से करें जीवन"आनंद"
इसका  महत्व शास्त्र  में विस्तार।


--देवानंद साहा"आनंद अमरपुरी"


आचार्य गोपाल जी शेखुपुरा बिहार

पटल के सभी मनीषियों को मेरा  नमन


युवा शक्ति को जागृत करने
 आया वह तेजस्वी सन्यासी
 अपने ओज से जग में छाया
 भारत का वो मान बढ़ाया 
शिकागो में धर्म ध्वजा फहराया
 सनातनी संस्कृति का परचम लहराया
 वीरेश्वर से बने नरेंद्र वो
 स्वविवेक से विवेकानंद कहलाया


 युगपुरुष स्वामी विवेकानंद को समर्पित चंद पंक्तियों के साथ प्रस्तुत है मेरी कविता


🌷 युवा दिवस पर🌹🌹 स्वामी विवेकानंद जी🌹🌹 को सत् सत् नमन🌷


 प्रस्तुत है मेरी एक छोटी सी कविता
 जग में आगे बढ़ना है तो 
हिम्मत हार के मत बैठो
अगर तुम्हें कुछ करना है तो 
मन को मार के मत बैठो
जो चलता वह मंजिल पाता
 थका हार कर मत बैठो
चलो कदम को आप बढ़ाते 
किसी की आस में मत बैठो
पैर तुम्हारे चलने खातिर
पांव पसारे तुम मत बैठो
चलो हवासी महक उड़ाते 
कभी भी प्यारे मत बैठो
तुम हो अकेले कभी न सोचो
 आजाद परिंदे मत बैठो
जग में आगे बढ़ना है तो
 हिम्मत हार के मत बैठो
अगर तुम्हें कुछ करना है तो
 मन को मार के मत बैठो


 आचार्य गोपाल जी 
           उर्फ 
आजाद अकेला बरबीघा वाले 
प्लस टू उच्च विद्यालय बरबीघा शेखपुरा बिहार


मधु शंखधर प्रयागराज स्वामी विवेकानन्द

*स्वामी विवेकानंद*
------------------------
हे परमहंस के शिष्य ,
जला दी अलख भरत जन की।
बने हो ज्योतिपुंज ऐसे,
मिटा दी तिमिर मनष मन की।
चलाया मिशन एक ऐसा,
विकास की राह जो लाया।
सनातन धर्म की वृद्धि,
का ही संकल्प जो भाया।
शिकागो में दिया भाषण,
देशभक्ति जगाता है।
युवा मन में विवेकानंद, 
यही इक लौ को लगाता है।
जीये पैंतीस बरस लेकिन, 
सभी के दिल में जिंदा हो।
दिखा नव राह मुक्ति की
उड़े तुम ज्यूँ परिंदा हो।
ये जीवन देश के हित में,
समर्पित कर दिया तुमने।
रामकृष्ण को श्रद्धा सुमन, 
अर्पित कर दिया तुमने।
बने भारत माँ का लाल,
जिसको हम सर झुकाते हैं।
तुम्हारी राह पर चलकर,
वतन पर जाँ लुटाते हैं। 
चले आओ युवाओं में,
नया उत्साह लाओ फिर।
जन्म लेकर विवेकानंद,
नवल भारत सजाओ फिर।।
*मधु शंखधर 'स्वतंत्र'*
*प्रयागराज*


गजल प्रिया सिंह लखनऊ

जूठी रोटी ही मौला उस भूखे को अता कर देते।
मजलूम ये ना समझ है उसे मौत  बता कर देते।।
जूठी रोटी ही मौला उस भूखे को अता कर देते।।।  


            
बांटते खुशी और गम बराबर दुनिया भर में तुम।
एक निवाला बस मोहब्बत थोड़ी जता कर देते।।
जूठी रोटी ही मौला उस भूखे को अता कर देते।।।



परोस देते जरा तुम माँ बन कर किस्मत भी मेरी।
रोटियां दो देकर थाल में तुम भी खता कर देते।।
जूठी रोटी ही मौला उस भूखे को अता कर देते ।।।



कुछ तो उसके भी हुनर हाथ में बोलता होगा ।
कुछ तो उसको भी दुनिया भर से हटा कर देते।।
जूठी रोटी ही मौला उस भूखे को अता कर देते ।।।



दौलत-शोहरत ना भी दी तो कोई बात ना होती।
सर पर आंचल तो मेरे कम से कम लता कर देते ।।
जूठी रोटी ही मौला उस भूखे को अता कर देते ।।।


 


 *Priya singh*


<no title>कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"

 स्वामी जी संदेश जग
स्नेह सुधा भावन हृदय , नीरज सुरभि सुजान। 
जीवन रत हिन्दी वतन , करूँ अन्त विश्राम।।१।।


मर्माहत है कविहृदय , दशा दिशा लखि देश। 
लूँ कृपाण कर ढाल मैं , दूँ महाकाल संदेश।।२।।


है स्वतंत्र माँ भारती , सिसक रही क्यों आज। 
तुला व्यर्थ बलिदान को , देशद्रोह आवाज़।।३।।


भृकुटि तान गिरिजा खड़ी ,आवाहन गिरिजेश।
अवतारन तारक हनन , कार्तिकेय मयूरेश।।४।।


तुली जलाने होलिका , सत्य न्याय अरु धर्म।
कमलनैन पावक शमन , हर दानव दुष्कर्म।।५।।


राष्ट्रधर्म नैतिक प्रथम , सद्विवेक मतिमान। 
विवेकानंद श्रद्धाञ्जलि,शान्ति प्रेम सम्मान।।६।।


चलें कर्मपथ प्रीति रथ , विश्वविजय था ध्येय। 
स्वामी जी  संदेश जग , आस्तिकता हो गेय।।७।।


स्वामी जी अभिलाष मन,मानवता हो धर्म ।
जाति धर्म दुर्भाव बिन , बढ़े राष्ट्र सत्कर्म।।८।।


हो परहित सौहार्द्र मन , दीन हीन हो देश।
राष्ट्र शक्ति मन भक्ति हो , एक राष्ट् संदेश।।९।।


निर्माणक जो है भविष्य , युवा राष्ट्र सम्मान।
चले नीति शिक्षण पथी , नवसर्जक अरमान।।१०।।


आज युवा उन्माद पथ , देख दुखी निकुंज।
कर विस्मृत निज ध्येय को , देश द्रोह बन पुंज।।११।।


कवि✍️डॉ. राम कुमार झा "निकुंज"
रचनाः मौलिक(स्वरचित)
नई दिल्ली


प्रतिभा गुप्ता लखनऊ

राष्ट्रीय युवा दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं....
*********************
करें जो काम अच्छा तो ,जहाँ में मान हो जाये।
युवाओं की अलग अपनी , नई पहचान हो जाये।
विवेकानंद जी जैसा, अगर  हो आचरण सबमें,
हमारा स्वर्ग  से सुंदर, ये'  हिंदुस्तान  हो  जाये।
***********
प्रतिभा गुप्ता
भिलावां,आलमबाग
लखनऊ


बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान* हरीश शर्मा

*बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान*


*संक्रान्ति पर्व - अरे इंसानों तुम तो हमको दाना खिलाकर पुण्य कमाया करते थे - डॉक्टर निरुपमा उपाध्याय*


*आज हमने क्या अपराध किया जिसकी सजा देकर तुमने हमको तडफ तड़फ कर मरने को विवश कर दिया।*


*आज विदेशी हमारी संस्कृति से खिलवाड़ कर हमको अपने हाथों की कठपुतली बना कर वो कराने में संलग्न हैं जो कदापि ग्रहण करने योग्य नहीं है।*


*लक्ष्मणगढ़ - (सीकर) - 13 - जनवरी - 2019*


बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान की और से चाईनीज मांझे का प्रयोग ना करने को लेकर सन्देश देते हुए कवयित्री डॉक्टर निरुपमा उपाध्याय ने कहा कि  2020 प्रारम्भ हो चुका है।नववर्ष का प्रथम पर्व मकर संक्रान्ति आने वाला है। लोहड़ी ओर मकर संक्रान्ति की मस्ती में सभी व्यस्त हैं। क्या बच्चे ,क्या बड़े,सभी को प्रतीक्षा रहती है इस पर्व की। होनी भी चाहिए। हमारी संस्कृति में उत्सवों का बहुत महत्व है। उत्सव से जीवन में उल्लास आता है,परस्पर सौहार्द का वातावरण मिलता है,लोग दान पुण्य करते हैं। इस पर्व का मुख्य आकर्षण है पतंग बाजी। आकाश में उड़ती रंग बिरंगी पतंगें सभी के मन को मोहित औऱ उल्लासित करती हैं ।
          अपनी परम्परा का निर्वाह करना हम सबका परम् कर्तव्य है,लेकिन परम्परा को निभाने के लिए किसी को कष्ट देना,क्षति पहुंचाना,जीवन समाप्त करना भी क्या हमारी संस्कृति है। *हम तो" सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामयः'का उद्घोष करने वाले हैं, हम उस शिवि के वंशज हैं जिन्होंने एक घायल पक्षी की रक्षा में अपने अंगों को काट काट कर तराजू में रखने में पल भर की देर भी ना लगायी, राजा दिलीप ने गौ माता नन्दिनी की रक्षा के लिए सिंह के सामने अपनी बलि देने में संकोच भी नहीं किया,* लेकिन आज विदेशी हमारी संस्कृति से खिलवाड़ कर हमको अपने हाथों की कठपुतली बना कर वो कराने में संलग्न हैं जो कदापि ग्रहण करने योग्य नहीं है। हमको अपने बच्चों को समझाना होगा कि वो हिंसक प्रवृति की ओर अग्रसर न हों।आज बाजार में प्रत्येक दुकान पर चायनीज माजा उपलब्ध है।अधिक लाभ कमाने के लोभ में दुकानदार ये माझा बेचते हैं और हमारे बच्चे इसे खरीदते हैं।इस माझे के हर वर्ष कितने निरपराध शिकार होते है किसी की गर्दन, किसी का जबड़ा,किसी का हाथ,किसी का पैर और कई बार तो जान भी चली जाती है।आकाश में पंख फैला कर उड़ने वाले परिन्दे तड़फते हुए जमीन पर आकर दम तोड़ देते हैं। फिर पूछते हैं अरे इंसानों तुम तो हमको दाना खिलाकर पुण्य कमाया करते थे ।आज हमने क्या अपराध किया जिसकी सजा देकर तुमने हमको तडफ तड़फ कर मरने को विवश कर दिया।क्या यही है हमारी संस्कृति ?क्या हमारा जमीर सो चुका है?क्या किसी के जीने मरने से हमको कोई फर्क नहीं पड़ता?हम अपने लाभ के लिए,अपने मनोरंजन के लिए कुछ भी करेंगे, अपनी मनमानी करेंगे ?
        तो  समझ लो  सड़क पर चलने वाला,स्कूटर, मोटर साइकिल से जाने वाला युवा,अपनी छत पर खड़ा वो बच्चा, मेरा ,आपका ,माझा बेचने वाले व्यापारी का ,किसी का भी हो सकता है।पेपर के मुख पृष्ठ पर हृदय विदारक वो तस्वीर किसी के भी बेटे,भाई, पिता की हो सकती है।मेरा अनुरोध है जगिए अपने दो पैसे कमाने की खातिर किसी भी जीव की हत्या करने का पाप मत करिए,किसी निर्दोष के जीवन के साथ खिलवाड़ करने का प्रयास मत करिये। जाने अनजाने किसी को कष्ट देना अपराध है। संक्रान्ति का पर्व हमको पुण्य कर्म करने की शिक्षा देता है,इसका उपहास मत करिए। अपनी सांस्कृतिक विरासत को सँजोये रखिये,इसी में आपका,हमारा और पूरे समाज की हित निहित है। सर्वे भवन्तु सुखिनः, अतः चाईनीज मांझे का प्रयोग ना कर इन निर्दोष जीवों व आम नागरिक को बेमौत तड़प तड़प कर मरने से बचाए। इस संदेश के साथ बेटा पढ़ाओ - संस्कार सिखाओ अभियान आपका हार्दिक स्वागत व अभिनन्दन करता है।


अनुरंजन कुमार "अंचल" अररिया, बिहार गजल

ग़ज़ल


 


तू मुझे अपना बना लो ,मैं तुझे दिल में बसा लूंगा,
तू मुझे दिल में  जगह दो, मैं तुझे सदा फसा लूंगा।


 


मैं अपने धड़कन  को तेरे लहू से सजा कर रखा हूं,
तू मेरी सजा बनी है ,मैं तुझे ख़्वाब में कसा लूंगा।


 


जबतक मेरा ख़्वाब में है,तभी तक मेरी सांस है,
यह अजनबी  चेहरा छोड़ देगा तो ,मैं नशा लूंगा।


 


तेरे लब का असर इस क़दर है कि तुझे क्या वताऊ
तू लब से बाज़ी छोड़ देगी ,ओर को न बसा लूंगा।


 


यदि तू मुझे छोड़ेगी तो, कर्जदार बन जाऊंगी तू,
तू हर वक्त साथ है, मैं नये जीवन को बरसा लूंगा।


 


तेरे तलाश में प्राण दे दूंगा तुझे भूल नहीं पाऊंगा,
तू भूल भी जाऊंगी ओर पे दिल को न तरसा लूंगा


        कवि/लेखक/ग़ज़लकार
                 शायर
        अनुरंजन कुमार "अंचल"
          अररिया, बिहार
         7488139688


डॉ राजीव पाण्डेय को मिला "काव्य गौरव सम्मान"

डॉ राजीव पाण्डेय को मिला "काव्य गौरव सम्मान"
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अनन्त आकाश हिन्दी साहित्य संसद राष्ट्रीय मंच वाराणसी द्वारा मिला सम्मान।
दिल्ली में आयोजित डॉ सुनीता सिंह के सम्पादन में,'मेरी धरती मेरा गाँव'काव्य संकलन के विमोचन अवसर पर  विशिष्ट अतिथि की भूमिका में भरपूर सुना गया।


***************************
अनन्त आकाश हिन्दी साहित्य संसद राष्ट्रीय मंच वाराणसी द्वारा मिला सम्मान।
दिल्ली में आयोजित डॉ सुनीता सिंह के सम्पादन में,'मेरी धरती मेरा गाँव'काव्य संकलन के विमोचन अवसर पर  विशिष्ट अतिथि की भूमिका में भरपूर सुना गया।


13 जनवरी उत्तर प्रदेश में राजकीय शोक घोषित

ओमान के सुल्तान की मृत्युपर 13 जनवरी 2020 को उत्तर प्रदेश में राजकीय शोक 


सिंहनाद कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नई दिल्ली

कवि डॉ. राम कुमार झा "निकुंज" नई दिल्ली
शीर्षकः सिंहनाद


बंद   होंगे    धन   कुबेर , कामधेनु   के   चोर।
कल्पवृक्ष   होंगे   फलित , चले   सुदर्शन घोर।।१।।  


दंगाई    का   शमन   अब , शैतानों  पर  घात।
बेईमानों  की  शामतें  , जो    खेले    जज़्बात।।२।।


त्वरित प्रगति हो पाप का , सच में  लगता देर।
अंत सुखद सच अमन का,पाप विकट हो ढेर।।३।।


अति होता जब पाप का , हो अधर्म का राज।
नारायण अवतार भुवि ,अधर्म  नाश  समाज।।४।।


सिंहनाद  कर  चक्रधर , दिखला रूप विराट।
गद्दारी    आतंक    हर ,  लूटकुबेर     सम्राट।।५।।


अर्थ नहीं  शान्ति   विनय , सहें  राष्ट्र  से    द्रोह।
मिटे सुखद कुसमित अमन, तजें क्षमा का मोह।।६।।


चला  पार्थ   गाण्डीव   शर , नारायण    उद्घोष। 
चक्रव्यूह रच साथ खल , अभिमन्यू भर   जोश।।७।।


खण्डन  को   तत्पर   वतन , देशद्रोह   नापाक।
सिंहनाद   करता  निकुंज , नारायण कर खाक।।८।।


<no title>इंजीनियर अम्बरीष श्रीवास्तव अम्बर सीतापुर

*'समीक्षार्थ प्रस्तुत'*


*स्वामी विवेकानंद के सदवचन*


बल से जीवन संचरण, दुर्बलता मृत मान |
शत्रु निराशा आपकी, साहस से कल्याण ||


पूरे मन जी प्राण से, कुछ भी कर लें काम |
मानव तन ही श्रेष्ठतम्, कर लें इसे प्रणाम ||


सेवा त्याग बसे हृदय, सीरदार सरदार |
स्वयं सँभालें चित्त को, सदा रहें तैयार ||


उन्नति चाहें तो करें, अपने पर विश्वास |
जो चाहेंगें वह मिले, ईश्वर होंगे पास ||


शिक्षा ही सबसे अहम्,  जीव ब्रह्म अव्यक्त|
निर्भयता से नष्ट हो,  अन्धकार परित्यक्त||


वही नास्तिक जो स्वयं, पर न करे विश्वास |
जैसी हो एकाग्रता, वैसी पूरी आस ||  


स्वामी जी की सीख दे, जीवन में आनंद।
बच्चा बच्चा विश्व का, बने विवेकानंद।।


हैं अमूल्य सारे वचन, अपना लें जन आम |
चमके भारत विश्व में, महाशक्ति हो नाम ||


हृदय विवेकानंद यह, स्वामीजी का धाम।
अम्बरीष के साथ में, शत-शत करें प्रणाम।


--इंजी0 अम्बरीष श्रीवास्तव 'अम्बर'


प्रवीण श्रीवास्तव सीतापुर विवेकानन्द जयंती 2020

संत विवेकानंद का करें, सभी गुणगान।
 नमन आपको सब करें , कर भारत का मान।


 पावन बारह जनवरी ,कोलकता में जन्म,
 विश्वनाथ भुवनेश्वरी, पिता मातु की शान ।


सन्यासी का वेष धर,आजीवन सन्यास, 
भगवा धारण कर लिया, वेदांतो की आन


परमहंस स्वामी जिन्हें, भजन सुनाये खास ,
 शुरू हुआ सत्संग जब ,वैदिक स्वर का दान।


 धर्म सभा में बोलते, विश्व आपके साथ,
 जय जय जय मां भारती ,"प्रेम" करें सम्मान।


अनुरंजन कुमार "अँचल युवा हूँ, युवा हूँ मैं   जिला -:अररिया,  बिहार 

🙏 🏂 हाँ, मैं  "युवा" हूँ 🏂🙏
युवा दिवस का शुभकामनाएं


युवा हूँ, युवा हूँ मैं 
देश का भविष्य हूँ 
हाँ, मैं "सैनिक" और 
देश  की  मिट्टी  से 
सोना उगलने वाला 
"खेतिहर "   हूँ  
हाँ   मैं " युवा" हूँ, 


मेरे पास वो पराक्रम है 
देश की  भ्रष्टाचारी 
और निजी स्वार्थी इंसानों 
को मिटा  सकता हूँ मै 
हाँ,  मैं "युवा"  हूँ,


 मुझे जगना पड़ेगा 
देश के विकास और 
उदय  के  लिए
 मैं राष्ट्र का सहारा 
और शिल्पकार हूँ 
कोई मुझे युवा कहता है, 
कोई मुझे नौजवान 
इंसान  कहता है 
राष्ट्र  के उत्थान  और
 पतन की शक्ति  मुझ पर है
 हाँ,  मैं "युवा" हूँ,


 मेरे पास स्वामी 
विवेकानंद की शक्ति 
खुदीराम  बोस का 
राष्ट्र भक्ति मुझ पर वास है 
हाँ,  मैं "युवा"  हूँ, 


अब  मुझे जगना पड़े गा 
दहेज प्रथा को हटाना पड़े गा 
 बेटियों को बचाना पड़े गा 
 इतिहास के पन्नों में मैं 
 अपना नाम दर्ज करा दूंगा 
हाँ,  मैं "युवा" हूँ !


 अनुरंजन कुमार "अँचल 


जिला -:अररिया,  बिहार
फ़ोन :-7488139688


विवेक दुवे निश्छल रायसेन हालतों से डरकर क्या होगा ।

हालतों से डरकर क्या होगा ।
घुट घुट के मरकर क्या होगा ।


लड़ जा ले साहस को अपने ,
देखें तो लड़कर क्या होगा ।


हार हुई हरदम हालतों की ,
साहस से बढ़कर क्या होगा ।


चलता चल दूर क्षितिज तक ,
कुंठाओं में घुटकर क्या होगा ।


 सहज सुहानी यादें मन भीतर ,
 चिंता मन में धरकर क्या होगा ।


"निश्चल" आज यही है साथ यही है ,
कल की चिंता करकर क्या होगा ।
....विवेक दुबे"निश्चल"@...


विवेकानंद जयंती 2020


*मेधा होये अति प्रखर,जीवन भी स्वछंद।*
*सारी धरती पर उड़े ज्ञान भरा मकरंद।।*
*पैंतीस चालिस साल क्या जीवन का आनंद।*
*बच्चे बूढ़े सब बने विले विवेकानन्द।।*


जीवन कितना लम्बा जिया यह बड़ी बात नही बड़ी बात है ,कि जीवन कैसा जिया। 105 वर्षीय भोजन शौच वाले व्यर्थ जीवन से 35 वर्षीय स्वामी विवेकानन्द जी जैसा जीवन जीना मुझको अधिक पसंद होगा।
आशुकवि नीरज अवस्थी 9919256950


डॉ. प्रतिभा कुमारी पराशर

तिरंगा 


 


तिरंगा यह प्यारा है


भारत का दुलारा है


तीन रंग डालकर 


तन को सजाइए ।


       


         श्वेत रंग सच्चाई का


          गेड़ुआ बलदाई का


          हरा रंग कहे अब 


          विटप लगाइए।


 


तिरंगा मेरी शान है


भारत की ये आन है


चक्र कहे पथ पर


 कदम बढ़ाइए ।


 


प्रगति प्रतीक यह


देता बड़ी सीख यह


मिल - जुल सब जन


राष्ट्रधुन गाइए ।


 


          डॉ. प्रतिभा कुमारी पराशर


         हाजीपुर बिहार


यूपी महोत्सव 2019-20 लखनऊ

एक बड़ा गौरवपूर्ण मंच यूपी महोत्सव के अति विशिष्ट आयोजन में काव्य रंगोली कवि सम्मेलन यादगार कार्यक्रम मेरे अनुरोध को स्वीकार करते हुए मेरे अनुज नवल सुधांशु,शाश्वत 'शाश्वत' अभिषेक मिश्र, पंकज ब्रह्मदेव शास्त्री सिद्धार्थ नगर, नन्द लाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर, डैडी संदीप मिश्र सरस् बिसवां सीतापुर, अभिषेक मिश्र हेमू द्वारा गजब की प्रस्तुति रही।ऐसे आयोजनों में प्रस्तुति उपस्थित पाकर वास्तविक आनन्द की प्राप्ति होती है।कार्यक्रम प्रमुख आदरणीया सीमा गुप्ता जी का विशेष आभार जिनके द्वारा हम पर हमारी संस्था पर विश्वास करते हुए  यह कार्यक्रम सम्पन्न करने की जिम्मेदारी दी गयी कार्यक्रम और भी विशिष्ट हो गया जब श्रोताओं के स्थान पर हमें दिखे आदरणीय विद्यासागर जी मिश्र प्रधानाचार्य रेउसा इन्टरकालेज, आदरणीय इंजी0 शिवनाथ सिंह जी,ओर आदरणीया दीदी व्याख्या मिश्र जी अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्ति कवयित्री दीदी सुमन दुबे जी,प्रख्यात मिश्र,अकिंत पीलीभीत,आदरणीया दीदी शोभा दीक्षित भावना दीदी नीलम राकेश सहित अपार जन समूह के साथ कार्यक्रम में सीमा गुप्ता जी की गरिमामयी उपस्थित रही इसके अलावा अन्य भी बहुत से जाने अनजाने लोंगो से साक्षात्कार हुआ।।


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